विपश्यना ध्यान-10 दिन की तपस्या सम्पूर्ण जानकारी | Vipassana Meditation In Hindi
विपश्यना, आत्मनिरीक्षण करते हुए आत्मशुद्धि की एक बहुत उच्चतम साधना-विधि है, जिसका जिक्र सबसे पहले ऋग्वेद में किया गया है, ऋग्वेद सनातन धर्म का पुरातन ग्रंथ है।
विपश्यना, आत्मनिरीक्षण करते हुए आत्मशुद्धि की एक बहुत उच्चतम साधना-विधि है, जिसका जिक्र सबसे पहले ऋग्वेद में किया गया है, ऋग्वेद सनातन धर्म का पुरातन ग्रंथ है।
अपनी तलाश की राहेंअपनों की तलाश कीअसफलता से हो कर गुजरती हैंजो जाना चाहे उसे जानें देनासहजता से स्वीकार करनाकृतज्ञता व्यक्त करनाअहोभाव से अपनी मंज़िल की तरफ़ बढ़ना !!-मोनिका वर्मा ‘मृणाल’ एकांत में अपने साथ…यदि तुम खुश होना सीख लोतो एक अनछुआ, नवीन आनंदतुमसे झरेगा !!यदि तुम्हारी खुशीकिसी बाहरी वस्तु, व्यक्ति और स्तिथि पर निर्भर … Read more
ये हवा मुझे अबपागल ना बना सकेगीतुम आओगे तोमुझे ख़बर देने बहुत आयेंगेंकुक उठेंगीं कोयलेंपरिंदें मुंडेर पर जमघट लगायेंगेंबादल परदा करेगें सूरज काफूल खिलखिलाएंगेघटाएं घिर आयेंगींनज़ारे बदल जायेंगेंइसे कहो जाएकिसी दूसरी चौखटजहाँ इसकी दस्तकों सेवहम पाले जायेंगेंये हवा मुझे अबपागल ना बना सकेगीतुम आओगे तोमुझे ख़बर देने बहुत आयेंगें !!-मोनिका वर्मा ‘मृणाल’
मैं फूल हूंमेरी भी अपनी इक किस्मत हैकभी प्रेम के इज़हार को डाली से तोड़ी जाऊंगीस्वीकार हुई तो बरसों तक क़िताबों को महकाऊंगीकोई देख-देख मुस्कायेगा मुझकोउसके प्रेम संग मैं भी प्रेम हो जाऊंगीअन्यथा ज़मीन पर पैरों तले रौंदी जाऊंगी। मैं फूल हूंमेरी भी अपनी इक किस्मत हैकभी आस्था का प्रतीक बन डाली से तोड़ी जाऊंगीजगह … Read more
सहराओ की तड़प परदरिया प्यास हो जाते हैंधरती की बैचैनी पेआसमां निराश हो जाते हैं ये हुनर हमनशीनी काबाक़ी रहा है फ़क़त क़ुदरत मेंकि देखकर दुःख एक दूसरे कासब हस्सास हो जाते हैं लोग तो बन चुके हैंजेहनी मरीज़ इस जहां मेंये औक़ात आँक करदूर और पास हो जाते हैं भूल चुके हैं कि ख़ुदासुन … Read more
शाम उतरी रहती हैदरीचे में मेरेसूरज मेहमानों की तरहकभी कभी आता हैबहती है एक शीतल नदी यहीं नज़दीकसामने से गिरता झरना नज़र आता हैदरखत ध्यास्थ खड़े हैं चारों तरफआसमां परिंदों की अठखेलियों सेखिलखिलाता हैचाँदनी रात भर नाचती है आँगन मेंचाँद फलक पर मंद-मंद मुस्कुराता हैप्रकृति लुटा रही है खुले हाथों सेमेरी रुह मेरा बदन तमाम … Read more
मेरी कविताओं से प्रेम करने वाले,यदि मुझसे नफ़रत करेंतो यह उतना ही स्वाभाविक है,जितना ईश्वर से प्रेम करने वालों काउसकी बनाई सृष्टि से नफ़रत करना।असंगत है यहपरंतु शायद इसी असंगति मेंसत्य का बीज छुपा है।कई बार,सृष्टि से प्रेम करते-करतेसृष्टा से प्रश्न करना,रुष्ट हो जाना,यहाँ तक कि उससे विमुख होना भीउदाहरणीय है।रचयिता को पूजना,दीप जलाना,मंत्र पढ़ना,प्रार्थनाएँ … Read more
सुनो,आँखें आईना होती हैं वुजूद काआँखें ही मन का दर्पण होती हैं नातुम ना हँसा करोयूँ झूठी हँसी तस्वीरों मेंमुझमें हुनर है इन्हें पढ़ लेने कातुम तो जानते ही हो नामाना लाज़िमी है महफ़िलों मेंज़रा नाटक भीदरकार है नक़ाबी हो जाना भीभीड़ मेंमगर तुम्हारी आँखें साथ कहाँ देती हैंये मुझसे तो सब कह देती हैं … Read more
हम ज़िंदा तो हैं मगरज़िंदगी से उकताए हैंसमंदर से पार पाकर साहिल के ठुकराए हैं वो जो रौशन कर रहा हैमहफिलों को गैरों कीहम उसी के इंतज़ार में घर को सजाए हैं कितने पैवंद लगाएं औरइस जिस्म के लिबास परलेकर सिर से पांव तलक ज़ख्मों से नहाए हैं जंतर-मंतर दुआ-इबादतगंडे -ता’वीज़ जादू-टोनाउसको पा लेने का … Read more
भारतीय दर्शनशास्त्र में सांख्य दर्शन का एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह दर्शन प्राचीनतम दर्शनों में से एक है और इसे ऋषि कपिल मुनि द्वारा प्रवर्तित माना जाता है। सांख्य शब्द की व्युत्पत्ति ‘संख्या‘ से हुई है, जिसका अर्थ है ‘गणना’ या ‘विश्लेषण’। यह दर्शन सृष्टि के मूल तत्वों और उनकी प्रक्रियाओं का वैज्ञानिक एवं तर्कसंगत … Read more
मन नदिया है क़ैद पंज़र सेठिकाने ढूँढ़ लाता हैइसे मिलना हो समंदर से बहाने ढूँढ़ लाता है पत्थर दिल से पत्थर भीपिघल जाते हैं क़ुर्बत सेये संगदिल के सख़्त संगर से दीवानें ढूँढ़ लाता है खेतिहर की कुव्वतों साखोद देता है ग़म सारेये बीहड़ों के जर बंजर से खज़ाने ढूँढ़ लाता है ख़ुदग़रज़ है ख़ुदपसंद … Read more