शायरी है एक प्रकार का हिन्दी साहित्य जिसमें जीवन, प्रेम, दर्द, आत्मा, स्वतंत्रता आदि के विषय पर हिंदी भाषा में कविताएं लिखी जाती हैं। इन्हें अधिकांशत: कवियों द्वारा लिखा जाता है जो अपने भावनाओं और विचारों को शायरी के माध्यम से सामने लाते हैं। शायरी में अधिकांशत: हिंदी स्वर या ध्वनियों का इस्तेमाल किया जाता है ताकि उससे अधिक भाव हासिल करने वाले हों।
हम आपके लिए लाये हैं विभिन्न विषयों पर दो लाइन शायरी :-
Aankhe Shayari | आँखे शायरी
ये जो नज़रों से तुम मेरे दिल पर वार करते हो, करते तो जुल्म हो मगर कमाल करते हो ।
कभी बैठा के सामने पूछेंगे तेरी आँखों से, किसने सिखाया है इन्हें हर दिल में उतर जाना।
अगर कुछ सीखना है तो आँखों को पढना सीख लो, वरना लफ्ज़ के मतलब तो हजारों निकाल लेते हैं।
मुस्कुरा के देखा तो कलेजे में चुभ गए, खंजर से भी तेज़ लगती है आँखें जनाब की।
देखा है मेरी नज़रों ने, एक रंग छलकते पैमाने का यूँ खुलती है आँखें किसी की जैसे खुले दर मैखाने का।
फ़रियाद कर रही है तरसती हुई निगाहें, देखे हुए किसी को बहुत दिन गुज़र गए ।
रात बड़ी मुश्किल से खुद को सुलाया मैंने, अपनी आँखों को तेरे ख्व़ाब का लालच देकर ।
रात बड़ी मुश्किल से खुद को सुलाया मैंने, अपनी आँखों को तेरे ख्व़ाब का लालच देकर ।
सौ सौ उम्मीदें बंधती है एक एक निगाह पर, मुझको न प्यार से देखा करे कोई ।
मेरे चेहरे पे गज़ल लिखती गयी, शेर कहती हुई आँखें उसकी।
पास जब तक वो रहे दर्द थमा रहता है, फैलता जाता है फिर आँखों के काजल की तरह।
क्या कहें क्या क्या किया तेरी निगाहों ने सुलूक, दिल में आई दिल में ठहरी दिल में पैकान हो गई।
तेरी निगाह में एक रंग – ए अजनबियत था, किस ऐतबार पे हम खुल कर गुफ्तगू करते।
Tanhai Shayari | तन्हाई शायरी
सुबकती रही रात अकेली तन्हाइयों के आगोश में, और वो दिन के उजालों से मोहब्बत कर बैठा।
एहतियातन देखता चल अपने साए की तरफ़, इस तरह शायद तुझे एहसास ए तन्हाई ना हो।
कहने लगी है अब मेरी तन्हाई भी मुझसे, कर लो मुझसे मोहब्बत मैं तो बेवफा भी नहीं।
कुछ इसलिए भी रात भर जागते हैं हम, चांद को कहीं एहसास ए तन्हाई ना हो जाए।
इतनी फिक्र है कुदरत को मेरी तन्हाई की, जागते रहते हैं रात भर सितारे मेरे लिए।
तनहाइयां कुछ इस तरह से डराने लगी हमें, हम आज अपने पैरों की आहट से डर गए।
मेरी है वह मिसाल के जैसे कोई दरख़्त, चुपचाप आंधियों में भी तन्हा खड़ा हुआ।
ख्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है, ऐसी तन्हाई के मर जाने को जी चाहता है।
मेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक जैसा है, वो तारों में तन्हा है, मैं हजारों में तन्हा हूँ ।
मेरी तन्हाई को मेरा शौक ना समझना, बहुत प्यार से दिया है ये तोहफा किसी ने।
Barish Shayari | बारिश शायरी
अब कौन से मौसम से आस लगाए, बरसात में भी उन्हें जब याद ना हम आए।
कहीं फिसल न जाऊं जरा संभल के चलना, मौसम बारिश का भी है और मोहब्बत का भी।
ये हुस्न-ए-मौसम, ये बारिश, ये हवाएं, लगता है....... मोहब्बत ने आज किसी का साथ दिया है।
इन बारिशों से अदब -ए -मोहब्बत सीखो, अगर यह रूठ भी जाए तो बरसती बहुत है।
बारिश और मोहब्बत दोनों ही यादगार होते हैं, बारिश में जिस्म भीगता है और मोहब्बत में आंखें।
बारिश हुई तो घर के दरीचे से लगे हम, चुपचाप सोगवार तुम्हें सोचते रहे।
रोज आते हैं बादल अब्र- ए- रहमत लेकर, मेरे शहर के आमाल उन्हें बरसने नहीं देते।
कई रोग़ दे गयी, ये नए मौसम की बारिश, मुझे याद आ रहे हैं, मुझे भूल जाने वाले।
Mohabbat Shayari | मोहब्बत शायरी
नादानी की हद है जरा देखो तो उनको, मुझे खो कर वो ढूँढ रहे है कोई मेरे जैसा।
यादों की किताब उठा कर देखी थी मैंने, पिछले साल इन दिनों तुम मेरे थे।
मुसलसल हादसों से बस मुझे इतनी शिकायत है, कि ये आंसू बहाने की भी मोहलत नहीं देते।
सुलग रहा हूँ एक मुद्दत से अपने अन्दर मैं, अब जो लब खोलूँगा तो बहुत तमाशा होगा।
मेरे मुक़द्दर को भी गिला रहा मुझसे, कि किसी और का होता तो संवर गया होता।
ना छेड़ो किस्सा मोहब्बत का बड़ी लम्बी कहानी है, हम जिंदगी से नहीं हारे किसी अपने की मेहरवानी है।
किसी को घर से निकलते ही मिल गयी मंजिल, कोई हमारी तरह तमाम उम्र सफ़र में ही रहा।
एक मुलाक़ात ज़रुरी सी, एक ख़्वाब अधूरा सा ।
Fanna Shayari | फ़ना शायरी
बाद-ए-फना भी खैर से तन्हा नहीं है हम, बंदों से छूट गए तो फरिश्तों में एक मील।
आए मौज-ए-हवादिस तुझे मालूम नहीं क्या, हम अहल-ए-मोहब्बत है फना हो नहीं सकते।
वो जादू अदाएं अदाओं में जादू, ये पाहुंचिये हम को फना से बचा तक।
एक मौज-ए-फना थी जो रोके न रुकी आखिरी, दीवार बहुत खेंची दरबान बहुत राखा।
हम चाहते हैं मोहब्बत हमें फना कर दे, फना भी ऐसे के जिस की कोई मिसाल ना हो।
फना के बाद इस दुनिया में कुछ बाकी नहीं रहता, फ़क़त एक नाम अच्छा या बुरा मशहूर रहता है।
अहान ओ संग को जहराब-ए-फना चाट गया, पहले दिन शिक्षा हुई फिर बाबा गिरा।
मरने वाले फना भी पर्दा है, उथ सके गर तो ये हिजाब उठा।
वो खुद ही अपनी आग में जल कर फना हुआ, जिस साये की तलाश में ये आफताब है।
दुनिया ने किस का राह-ए-फना में दिया है साथ,
तुम भी चले चलो यूँ ही जब तक चली चले।
वो जिनकी लौ से हजारों चराग जलते थे,
चराग़ बाद-ए-फना ने बुझाये हैं क्या क्या।
मुझ को ना सुना खिज्र ओ सिकंदर के फसाने, मेरे लिए यक्षन है फना हो के बचा हो।
फना होने में सोज-ए-शमा की मिन्नत कैसी, जले जो आग में अपनी उसे परवाना कहते हैं।
हम चाहते हैं मोहब्बत हमें फना कर दे, फना भी ऐसे के जिस की कोई मिसाल ना हो।
परवाना गिर्द घूम के जब हो चुका फना,
अब सारी रात शमा लगन में जली तो क्या।
ध्यान में उसका फना हो कर कोई मुंह देख ले,
दिल वो आईना नहीं जो हर कोई मुंह देख ले।
सारी गली सुनसान पड़ी थी बाद-ए-फना के पहरे में,
हिज्र के दलाल और आंगन में बस एक साया जिंदा था।
फ़ना ही का है बक़ा नाम दूसरा, नफ़स की आमद-ओ-शुद मौत का तराना है।
बाद-ए-फ़ना भी है मरज़-ए-इश्क़ का असर, देखो कि रंग ज़र्द है मेरे ग़ुबार का।
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना, दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।
Attitude Shayari | एटीट्यूड शायरी
अभी तो हमारे चर्चा शुरू करें भी नहीं हुए और,
जलने वालों ने अभी से फड़फड़ाना शुरू कर दिया।
घमंड हमारा भी कुछ समुंदर के पानी जैसा है,
खरा है मगर खरा है।
जो शिद्दत से चाहोगे तो होगी आरजू पूरी,
हम वो नहीं जो तुम्हारे खैरात में मिल जाए।
लाख तलवारें बढ़ती हो गर्दन की तरफ,
सर झुकना नहीं आता तो झुकाएं कैसे।
रूठा हुआ है मुझसे इस बात पर जमाना,
शामिल नहीं है मेरी फितरत में सर झुकना।
इतने अमीर तो नहीं कि सब कुछ खरीदे हैं,
पर इतने गरीब भी नहीं हुए कि खुद बिक जाए।
मेरी खामोशी को कम्जोरी न समझ,
गुमनाम समंदर ही खौफ लाता है।
अगर प्यार से कोई फूंक मारे तो बुझ जाएंगे हम,
नफ़रत से तो बड़े तूफान बुझ गए हमें बुझाने में।
दुनिया दारी की चादर ओढ़ के बैठी है,
पर जिस दिन दिमाग सटका न तो इतिहास भी बदल देंगे।
हमारा स्टाइल और एटीट्यूड ही कुछ अलग है,
बाराबरी करने जाओगे तो भी बिक जाओगे।
जिसे निभा न सका ऐसा वादा नहीं करता,
दावा कोई औकात से ज्यादा नहीं करता।
मैं लोगों से मुलाकातों के लम्हे याद रखता हूं,
बातें भूल भी जौन पर लेहजे याद रखता हूं।
थोड़ी खुद्दारी भी लाजमी थी दोस्त, उसके हाथ छुड़ाया तो हमने छोड़ दिया।
जैसे हर सवाल का जवाब नहीं होता,
वैसे ही हर इंसान हमारी तरह नवाब नहीं होता।
Bewafai Shayari | बेवफ़ाई शायरी
इतनी मुश्किल भी ना थी राह मेरी मोहब्बत की, कुछ जमाना खिलाफ हुआ कुछ वह बेवफा हुए।
तूने ही लगा दिया इल्जाम ए बेवफाई, अदालत भी तेरी थी गवाह भी तू ही थी।
शिकायत तुमसे नहीं अपने आप से मुझे, वो बेवफा थी तो हम आज क्यों लगा बैठे।
बातों में तल्खी लहजे में बेवफाई, लो यह मोहब्बत भी पहुंची अंजाम पर।
अपने तजुर्बे की आजमाइश की जिद्द थी वरना, हमको था मालूम कि तुम बेवफा हो जाओगे।
तेरी बेवफाई का सो बार शुक्रिया, मेरी जान छूटी इश्क से मोहब्बत से।
मुझसे मेरी वफा का सबूत मांग रहे हो, खुद बेवफा हो कर मुझसे वफा मांग रहे हो।
मेरे फ़न को तराशा है सभी के नेक इरादों ने, किसी की बेवफाई ने किसी के झूठे वादों ने।
मोहब्बत से भरी कोई गजल उन्हें पसंद नहीं, बेवफाई के हर शेर पे वो दाद दिया करते हैं।
इस दौर में की थी जिससे वफा की उम्मीद, आखिर को उसी के हाथ का पत्थर लगा मुझे।
तेरी वफा के तकाज़े बदल गए वरना, मुझे तो आज भी तुझसे अजीज़ कोई नहीं।
अगर बेवफाओं की एक अलग दुनिया होती, तो मेरी वाली वहां की रानी होती।
अब भी तड़प रहा है तू उसकी याद में, उस बेवफ़ा ने तेरे बाद कितने भुला दिए।
वफ़ा निभा के वो हमें कुछ ना दे सके, पर बहुत कुछ दे गए जब बेवफा हुए।
कुछ नहीं बदला मोहब्बत में यहाँ, बस बेवफाई आम हो गयी है।
सिखा दी बेवफाई भी तुम्हें ज़ालिम ज़माने ने, तुम जो भी सीख लेते हो हम ही पे आजमाते हो।
तेरी बेवफाई पे लिखूंगा गजलें, सुना है हूनर को हूनर काटता है।
ये जफ़ाओं की सज़ा है कि तमाशाई है तू, ये वफ़ाओं की सज़ा है कि पए-दार हूँ मैं।
तुम जफ़ा पर भी तो नहीं क़ायम, हम वफ़ा उम्र भर करें क्यूँ-कर।
वही तो मरकज़ी किरदार है कहानी का, उसी पे ख़त्म है तासीर बेवफ़ाई की।
क़ायम है अब भी मेरी वफ़ाओं का सिलसिला, इक सिलसिला है उन की जफ़ाओं का सिलसिला।
उमीद उन से वफ़ा की तो ख़ैर क्या कीजे, जफ़ा भी करते नहीं वो कभी जफ़ा की तरह।
उमीद उन से वफ़ा की तो ख़ैर क्या कीजे, जफ़ा भी करते नहीं वो कभी जफ़ा की तरह।
जो मिला उस ने बेवफ़ाई की, कुछ अजब रंग है ज़माने का।
चोट है, ज़ख्म़ हैं, तोहमत है, बेवफाई है, बचपन के बाद इम्तहान कड़ा होता है।
गिला लिखूँ मैं अगर तेरी बेवफ़ाई का, लहू में ग़र्क़ सफ़ीना हो आश्नाई का।
ये क्या कि तुम ने जफ़ा से भी हाथ खींच लिया, मिरी वफ़ाओं का कुछ तो सिला दिया होता।
काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएँ तो क्या करें, उस बेवफ़ा को भूल न जाएँ तो क्या करें।
तुम किसी के भी हो नहीं सकते, तुम को अपना बना के देख लिया।
उड़ गई यूँ वफ़ा ज़माने से, कभी गोया किसी में थी ही नहीं।
शायद परिंदो की फितरत से आए थे वो मेरे दिल में, ज़रा से पंख क्या निकले आशियाना ही बदल लिया।
Dard Shayari | दर्द शायरी
अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे,
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे।
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया,
जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया।
ज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा है जिस में,
हर घड़ी दर्द के पैवंद लगे जाते हैं ।
कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी,
सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी।
इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया,
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया ।
बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता,
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता।
दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रब,
मेरा अपना ही भला हो मुझे मंज़ूर नहीं।
दर्द ऐसा है कि जी चाहे है ज़िंदा रहिए,
ज़िंदगी ऐसी कि मर जाने को जी चाहे है।
आज तो दिल के दर्द पर हँस कर,
दर्द का दिल दुखा दिया मैंने ।
जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िंदगी ने भर दिए,
तुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया ।
Love Shayari | लव शायरी
एक चेहरा है जो आँखों में बसा रहता है,
इक तसव्वुर है जो तन्हा नहीं होने देता।
मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है,
कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता।
पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा,
कितना आसान था इलाज मिरा।
आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें,
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं।
उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था,
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला।
अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़हम को तुझ से हैं उमीदें,
ये आख़िरी शमएँ भी बुझाने के लिए आ।
ज़िंदगी यूँही बहुत कम है मोहब्बत के लिए,
रूठ कर वक़्त गँवाने की ज़रूरत क्या है।
क्या कहूँ तुम से मैं कि क्या है इश्क़,
जान का रोग है बला है इश्क़।
चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनी,
वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते।
हँस के फ़रमाते हैं वो देख के हालत मेरी,
क्यूँ तुम आसान समझते थे मोहब्बत मेरी।
वफ़ा तुझ से ऐ बेवफ़ा चाहता हूँ,
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ।
किसी सबब से अगर बोलता नहीं हूँ मैं,
तो यूँ नहीं कि तुझे सोचता नहीं हूँ मैं।
ज़िंदगी भर के लिए रूठ के जाने वाले,
मैं अभी तक तिरी तस्वीर लिए बैठा हूँ।