मैं एक किताब लिखूंगी, इश्क़ बेबाक़ लिखूंगी,
हर पहर लिखूंगी उसमें, खुद को बे-हिसाब लिखूंगी।
मैं अपनी जिन्दगी का, इक सफ़र ए इश्क़ लिखूंगी,
लेकिन हर किस्से में 'ताबीर' तेरा जिक्र लिखूंगी।
लिखूंगी एक नये दौर का, फलसफ़ा ए मोहब्बत,
मैं तेरे-मेरे नयन से रूह तक का, सफ़र लिखूंगी।
हर एक किस्सा बयां होगा, हंसी से अश्क़ तलक,
कलम मेरी, इश्क़ भी मेरा, अपनी तपिश लिखूंगी।
खुद को मुजरिम, तुझको गुनाह ए ख़लिश लिखूंगी,
मैं अपना वाला चाँद, अपनी वाली तपिश लिखूंगी।
क्या मिला इश्क़ में, ख़ुद की गुजरी हर बात लिखूंगी,
ख़ुद को मिली सौगात लिखूंगी, अपनी एक-एक रात लिखूंगी।
मैं एक किताब लिखूंगी, इश्क़ बेबाक़ लिखूंगी,
हर पहर लिखूंगी उसमें, खुद को बे-हिसाब लिखूंगी।
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