लालकृष्ण आडवाणी: भारतीय राजनीति का एक सशक्त नेता

लालकृष्ण आडवाणी भारतीय राजनीति के एक प्रमुख और प्रभावशाली नेता रहे हैं, जिनका भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठन और विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आडवाणी का जीवन, संघर्ष और योगदान भारतीय राजनीति के एक महत्त्वपूर्ण अध्याय के रूप में देखा जाता है। उनके जीवन और राजनीति में सफलता की कहानी कई पहलुओं को उजागर करती है, जिसमें उनकी संकल्पशीलता, देशभक्ति, और राष्ट्रवाद के प्रति अडिग प्रतिबद्धता शामिल हैं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को ब्रिटिश भारत के सिन्ध प्रांत (जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है) के कराची में हुआ था। उनके पिता का नाम किशन चंद आडवाणी और माता का नाम ज्ञानी देवी आडवाणी था। आडवाणी ने अपनी शुरुआती शिक्षा कराची के सेंट पैट्रिक्स स्कूल में प्राप्त की, जहां उन्होंने अपनी 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई की और क्लास में टॉप किया। 1942 में, उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल होकर देशभक्ति की भावना को और भी सशक्त बनाया।

स्वतंत्रता संग्राम और विभाजन

आडवाणी ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और इसी दौरान उनका राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ाव हुआ। विभाजन के बाद, 12 सितंबर 1947 को, उन्हें और उनके परिवार को अपने घर को छोड़कर भारत आना पड़ा। कराची में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने कुछ समय के लिए कराची के मॉडल हाई स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्य किया। विभाजन के बाद, उन्होंने राजस्थान में आरएसएस के लिए काम करना शुरू किया, जहां उन्होंने अलवर, भरतपुर, कोटा, बुंडी और झालावार में संघ को संगठित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया।

राजनीतिक सफर की शुरुआत

1957 में, आडवाणी को राजस्थान छोड़कर दिल्ली आने के लिए कहा गया, ताकि वे अटल बिहारी वाजपेयी की सहायता कर सकें। इसके बाद, दिल्ली उनके राजनीतिक जीवन का केंद्र बन गया। आडवाणी ने भारतीय जनसंघ में शामिल होकर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। उन्होंने दिल्ली प्रदेश जनसंघ में सचिव का पद संभाला और ऑर्गनाइजर नामक पत्रिका में काम किया, जो जनसंघ का मुखपत्र था। 1960 से 1967 तक, उन्होंने इस पत्रिका के माध्यम से अपनी विचारधारा को प्रसारित किया और संगठन के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

राज्यसभा और जनसंघ के अध्यक्ष

अप्रैल 1970 में, आडवाणी राज्यसभा में प्रवेश किए और दिसंबर 1972 में भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष बने। उन्होंने आपातकाल के दौरान (1975-1977) अन्य विपक्षी नेताओं के साथ जेल में समय बिताया। आडवाणी की अध्यक्षता में जनसंघ ने आपातकाल के खिलाफ एक मजबूत अभियान चलाया, जिसके परिणामस्वरूप 1977 के चुनाव में जनता पार्टी की सरकार बनी और आडवाणी सूचना एवं प्रसारण मंत्री बने। उन्होंने इस पद पर रहते हुए दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो को स्वायत्तता देने के प्रयास किए।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गठन

आडवाणी का राजनीतिक करियर नई ऊंचाइयों पर तब पहुंचा जब 1980 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गठन हुआ। वे इस पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और 1986 में पार्टी के अध्यक्ष बने। उनके नेतृत्व में, भाजपा ने अपने राजनीतिक और संगठनात्मक ढांचे को मजबूत किया। 1984 के आम चुनाव में भाजपा ने केवल 2 सीटें जीती थीं, लेकिन आडवाणी के नेतृत्व में, पार्टी ने 1989 के चुनाव में 85 सीटें जीतीं और 1991 के चुनाव में यह संख्या बढ़कर 120 से अधिक हो गई।

राम रथ यात्रा और भारतीय राजनीति में परिवर्तन

1990 में, आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक राम रथ यात्रा का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का समर्थन करना था। इस यात्रा ने भाजपा को व्यापक जनसमर्थन दिलाया और पार्टी को एक राष्ट्रीय पहचान मिली। राम रथ यात्रा के माध्यम से आडवाणी ने देशभर में हिंदुत्व की लहर पैदा की और भाजपा को एक मजबूत राजनीतिक शक्ति के रूप में उभारा। इस यात्रा ने भारतीय राजनीति में धर्म और राजनीति के गठजोड़ को नई दिशा दी और भाजपा को प्रमुख राजनीतिक पार्टी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

केंद्रीय गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री

1998 में भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार बनी, जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने और आडवाणी को केंद्रीय गृह मंत्री का पदभार सौंपा गया। आडवाणी ने अपने कार्यकाल के दौरान देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। 1999 से 2004 तक, वे एनडीए सरकार में उप-प्रधानमंत्री के रूप में भी कार्यरत रहे। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने देश की सुरक्षा और आंतरिक स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले लिए।

प्रमुख यात्राएँ

लालकृष्ण आडवाणी की जीवन यात्रा केवल राजनीतिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक यात्रा भी रही है। उन्होंने विभिन्न यात्राओं के माध्यम से जनता के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और राष्ट्रीय एकता और अखंडता को सशक्त बनाने का प्रयास किया।

राम रथ यात्रा

1990 में राम रथ यात्रा ने भारतीय राजनीति को नया आयाम दिया। इस यात्रा का उद्देश्य अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए जनसमर्थन जुटाना था। यह यात्रा गुजरात के सोमनाथ से शुरू होकर उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक गई। इस यात्रा के माध्यम से आडवाणी ने हिंदुत्व की विचारधारा को जन-जन तक पहुँचाया और भाजपा को राष्ट्रीय पहचान दिलाई।

स्वर्ण जयंती रथ यात्रा

1997 में भारत की स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती के अवसर पर आडवाणी ने स्वर्ण जयंती रथ यात्रा का आयोजन किया। इस यात्रा का उद्देश्य भारत के स्वतंत्रता संग्राम के वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करना और देश की सांस्कृतिक एकता को मजबूत करना था। इस यात्रा के माध्यम से उन्होंने देशभर में राष्ट्रवाद की भावना को प्रबल किया।

भारत उदय यात्रा

2004 में, लालकृष्ण आडवाणी ने भारत उदय यात्रा का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य देश के विकास और प्रगति के लिए जनजागरण करना था। इस यात्रा के माध्यम से उन्होंने देश के कोने-कोने में जाकर जनता से संवाद किया और उन्हें विकास की मुख्यधारा में शामिल होने का आह्वान किया।

भारतीय राजनीति में योगदान

लालकृष्ण आडवाणी का भारतीय राजनीति में योगदान बहुत व्यापक और गहरा है। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई महत्वपूर्ण राजनीतिक बदलावों को साक्षी बनाया और उनमें सक्रिय भागीदारी की। वे भारतीय राजनीति के उन कुछ नेताओं में से एक हैं जिन्होंने न केवल राजनीतिक सिद्धांतों को महत्व दिया, बल्कि उन्हें अपनी राजनीति में उतारकर भी दिखाया।

राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय एकता

लालकृष्ण आडवाणी का राजनीति में हमेशा यह प्रयास रहा कि राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय एकता को सशक्त बनाया जाए। उन्होंने हिंदुत्व की विचारधारा को भारतीय राजनीति के केंद्र में लाया और इसे जन-जन तक पहुँचाया। उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि देश की अखंडता और संप्रभुता को कोई खतरा न हो और इसके लिए उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।

भाजपा का विकास और मजबूती

लालकृष्ण आडवाणी ने भारतीय जनता पार्टी को एक मजबूत और संगठित पार्टी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत किया और इसे राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख राजनीतिक ताकत के रूप में स्थापित किया। उनके नेतृत्व में भाजपा ने कई चुनावी सफलताएँ हासिल कीं और राष्ट्रीय राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ बनाई।

सामाजिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण

लालकृष्ण आडवाणी ने हमेशा सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को महत्व दिया और इन्हें अपनी राजनीति का अभिन्न हिस्सा बनाया। उन्होंने विभिन्न यात्राओं और अभियानों के माध्यम से सामाजिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रयास किया। वे हमेशा यह मानते थे कि एक मजबूत और संपन्न राष्ट्र का निर्माण तभी संभव है जब उसकी सांस्कृतिक जड़ें मजबूत हों और समाज में सामाजिक समरसता और एकता हो।

व्यक्तिगत जीवन

लालकृष्ण आडवाणी का व्यक्तिगत जीवन भी उतना ही समृद्ध और प्रेरणादायक है जितना कि उनका राजनीतिक जीवन। 25 फरवरी 1965 को उनकी शादी कमला आडवाणी से हुई। उनके दो बच्चे हैं – प्रतिभा और जयंत। आडवाणी अपने परिवार के साथ मजबूत संबंध रखते हैं और उन्हें एक अच्छे पिता और पति के रूप में जाना जाता है।

परिवार और सामाजिक जीवन

लालकृष्ण आडवाणी का परिवार उनके लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहा है। उनकी पत्नी कमला आडवाणी ने हमेशा उनके राजनीतिक जीवन में उनका साथ दिया और उनके संघर्ष में सहायक बनीं। उनके बच्चे भी हमेशा उनके आदर्शों और सिद्धांतों का पालन करते रहे हैं।

लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न: राष्ट्रपति द्वारा सम्मान

मार्च महीने में भारतीय राजनीति के प्रतिष्ठित नेता, लालकृष्ण आडवाणी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा उनके सरकारी आवास पर जाकर भारत रत्न से सम्मानित किया गया। यह समारोह एक ऐतिहासिक और सम्मानजनक अवसर था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू भी उपस्थित थे।

लालकृष्ण आडवाणी को एम्स अस्पताल से छुट्टी, घर लौटे

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री, लालकृष्ण आडवाणी को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से छुट्टी मिल गई है। वे अस्पताल से अपने सरकारी आवास के लिए रवाना हो गए हैं।
आडवाणी जी को बुधवार, 26 जून की देर रात एम्स में भर्ती कराया गया था। उनकी उम्र संबंधी समस्याओं के चलते उन्हें अस्पताल में दाखिल करना पड़ा था, जहां उन्हें जिरियाट्रिक विभाग के डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया।

96 वर्षीय आडवाणी को एम्स के प्राइवेट वार्ड में भर्ती कराया गया था। उनके स्वास्थ्य की नजदीकी निगरानी और उपचार के लिए यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों की एक टीम ने उनकी देखभाल की।

उनकी उम्र को देखते हुए, डॉक्टरों ने उनकी सेहत पर विशेष ध्यान दिया और उचित इलाज किया। अब उनकी हालत में सुधार के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और वे अपने आवास लौट आए हैं।

निष्कर्ष

लालकृष्ण आडवाणी भारतीय राजनीति के एक अद्वितीय नेता हैं, जिनका योगदान भारतीय जनता पार्टी के निर्माण और विकास में अविस्मरणीय है। उनके नेतृत्व में, भाजपा ने राष्ट्रीय राजनीति में एक मजबूत पकड़ बनाई और देश के राजनीतिक परिदृश्य को नया रूप दिया। आडवाणी का जीवन देशभक्ति, संघर्ष और सेवा का प्रतीक है और उनके विचार और आदर्श भारतीय राजनीति में हमेशा जीवंत रहेंगे।

आडवाणी की जीवन यात्रा और उनका राजनीतिक सफर भारतीय राजनीति के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। उन्होंने अपने जीवनकाल में न केवल राजनीतिक सफलताएँ हासिल कीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का भी प्रयास किया। उनका जीवन और कार्य भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं और उनका योगदान भारतीय राजनीति में हमेशा याद किया जाएगा।

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Parveen Shakir Shayari Nasir Kazmi Shayari