सुनो,
ये फ़रवरी की बारिशें
ये इज़हार का महीना
कुछ कहता है तुमसे भी क्या
मौसम ये भीना भीना
झटका है आसमां ने दामन क्या
क्या वस्ल को ली है अंगड़ाईयां
क्या पैग़ाम है ये जमीन को
मिट जाएंगी तुम्हारी तन्हानियां
कोहरे की दुग्धवत पश्मीना शॉल पर
जो ओस की बूंदों से टंके थे
वही मोती हैं क्या ये जमीं पर
जो कल ओलो की सूरत में गिरे थे
ये बारिशें भी इश्क़ हैं
क्या जमीनों की तलाश हैं
कहीं हैं दिल में यादों सी
कहीं प्रेम के पलाश हैं
सुनो,
ये फ़रवरी की बारिशें
ये तेज़ सर्द हवाएं…
क्या लग रही हैं तुमको भी
ये मोहब्बत का आग़ाज़ सी
प्रेम की धुनों पर थिरकती हुई
मौसमों के साज़ सी
धरती के सीने से प्रेम की
कुछ कोपलें नवीन फूटेंगी
कुछ कलियां छुएंगी यौवन को
कुछ रूहें इश्क़ को छू लेंगी
कहीं इकरार भी होगा
कहीं इज़हार भी होगा
इस माह ए मोहब्बत में एक ज़माना
बहुत बेकरार भी होगा
सुनो,
ये फ़रवरी की बारिशें
ये गूंजती सदाएँ…
मिजाज़ी आसमां की सरगर्मियां
लुका- छुपी है ये अम्बर की
संग बादलों के अठखेलियां
क्या कहती हैं तुमसे भी
गिले-शिकवे भुला कर
मय मोहब्ब्तों की पीना
प्रेम मिले या ना मिले तुम्हें
तुम प्रेम हो करके जीना
सुनो,
ये फ़रवरी की बारिशें
ये इज़हार का महीना…
कुछ कहता है तुमसे भी क्या
मौसम ये भीना भीना !!
-मोनिका वर्मा ‘मृणाल’
शतरंज़ी खेल क़ुदरत का
ये करीने से बिछी बिसातें
प्रेम में डूबे सभी मोहरे
क्या राजा और क्या प्यादे
ये आख़िरी साँस तक साथ निभाने के इरादे
उफ्फ़ ये दीवानगी हर तरफ़ और मोहब्बत भरी बातें
उफ्फ़ ये फ़रवरी का इश्क़
और इसके सच्चे वादे !!
-मोनिका वर्मा ‘मृणाल’
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