मेरे महबूब का यार कोई और है | Hindi Ghazals
फक़त मैं ग़मों का साथी हूँ उसके,खुशियों का कर्ज़दार कोई और है। अंधेरा खींचता है उसे मुझ तलक,उजालों का किरदार कोई और है। कातिल़ यादें आयी हैं मेरे हिस्से में,मेरे महबूब का यार कोई और है। चन्द लम्हे बा-मुश्किल मुकद्दर हुए,ज़िंदगी का दावेदार कोई और है। वो तो टकराया था इश्क़ बताने को,शतरंज का शहरयार … Read more