मर्द ऐसे ही होते हैं – कविता
‘मर्द ऐसे ही होते हैं’ एक भरे पूरे वृक्ष की डाली परकुछ पंछियों के झुंड मेंअकेली बैठी एक चिड़ियाकतर रही थीनोच-नोच कर अपने पंखज़ख्मी, आंसुओ से भीगीखून से लथपथउसके माथे पर बेबसी थीऔर आँख में टूटी हुई हसरतउसके होठों पर दर्द की आहें थीसरापे में बिखरी हुई शख़्सियतवो ज़िंदगी से हारी थीशायद मुकद्दर की मारी … Read more