Hindi Poem | हिंदी कविता | कुछ सपने गर टूट जाएं
कुछ सपने गर टूट जाएंफिर वो कभी पूरे नहीं होतेऐसा ही एक सपना हैइश्क़ के मुकम्मल होने कावक्त मुन्तजिर रहता हैमगर एक वक्त तकफिर अकसर उसी रफ्तार से दौड़ता हैजो वाकई फितरत है उसकीले आता है एक ऐसे मुकाम परजहां से उस टूटे सपने की किरचियांएक ना- मुक्कमलला- हासिलीऔर अधूरेपन का दर्द समेटे चुभती रहती … Read more