मैंने हाल ही में हस्तिनापुर मेरठ (उत्तर प्रदेश ) से विपश्यना साधना के दस-दिवसीय शिविर में हिस्सा लिया, इसकी सम्पूर्ण जानकारी जैसे की दिनचर्या, शुल्क, लाभ, नियम और कुछ प्रश्न-उत्तर, मैं आप लोगों के साथ यहाँ साझा कर रही हूँ|
विपश्यना ध्यान क्या है ?
विपश्यना, आत्मनिरीक्षण करते हुए आत्मशुद्धि की एक बहुत उच्चतम साधना-विधि है, जिसका जिक्र सबसे पहले ऋग्वेद में किया गया है, ऋग्वेद सनातन धर्म का पुरातन ग्रंथ है।
लगभग २६०० वर्ष पूर्व राजकुमार सिद्धार्थ गौतम को विपश्यना-साधना द्वारा बोधि प्राप्त हुई और वो सम्यक सम्बुद्ध हुए, उन्होंने जन-कल्याण के उद्देश्य से, इस विलुप्त साधना पद्धति का पुन: अनुसंधान कर इसकी शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य किया।
विपश्यना, साधना में साक्षी भाव से, अपनी सांसों को और अपनी शरीर में हो रही संवेदनाओं को देखना सिखाया जाता है, सांस आ रहा है और सांस जा रहा है बस उसे देखना है, न सांस की गति को बदलना है और ना कुछ करना है, जिससे मन शांत होता है और शरीर में नयी उर्जा का संचार महसूस किया जा सकता है।
अधिकतर हम मनुष्य का दिमाग भूत और भविष्य की चिंताओं में उलझा रहता है, विपश्यना हमें वर्तमान में रहना सिखाती है, जिससे सुख और शान्ति का अनुभव होता है और विकारों से मुक्ति मिलती है।
विपश्यना की नियम और शर्ते क्या हैं?
जब आप विपश्यना मैडिटेशन सेंटर पर विपश्यना-साधना के लिए जाते हैं तो उसके कुछ नियम और शर्तें हैं जिसका आपको पालन करना होता है –
1– आपको अपना मोबाइल या कोई भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जो आपके पास है उसे जमा करना होता है, आप कागज, पेन्सिल या कोई भी खाने पीने की वस्तु नहीं ले जा सकते, अगर आपके पास है तो वो आपको शिविर शुरू होने से पहले जमा कराना होता है। जमा करने पर आपको एक टोकन नंबर दिया जाता है और शिविर समाप्ति पर आपको सभी चीज़ें वो टोकन दिखा कर वापस कर दी जाती हैं
2– आपको आर्य मौन का पालन करना होता है। आर्य मौन का अर्थ है पूर्ण मौन। आप शरीर के इशारों से भी बात नहीं करेंगे, लिखकर भी बात नहीं करेंगे और अपनी आँखों को ज्यादतर नीचे की तरफ़ झुका कर रख्नेगें, ताकि आपकी आखें किसी की आँखों से ना मिलें, आखें भी किसी तरह का संवाद ना कर पायें। आप किसी का भी चेहरे की तरफ़ ना देखें, ताकि आप पूरी तरह अंतर्मुखी रह कर विद्या का पूरा लाभ उठा पायें।
3– आपको रात्री भोजन नहीं दिया जाता और सुबह और दोपहर का भोजन सात्विक होता है। इसका उदेश्य यह है कि अधिक भोजन और अत्यधिक मिर्च-मसालों से बना भोजन शरीर में तमस बढ़ाता है, जिससे नींद और आलस्य में बढ़ोतरी होती है और ध्यान-साधना में बाधा पड़ती है, इसलिए बिना प्याज-लहुसन और कम तेल, मिर्च मसालों से भोजन को बनाया जाता है।
विपश्यना दस-दिवसीय शिविर क्या है ?
विपश्यना के दस दिन के शिविर में इस विद्या को सिखाया जाता है और अभ्यास कराया जाता है, जिसके तीन चरण होते हैं –
पहला चरण आपको दस दिन तक पांच शील पालन करने का व्रत लेना होता है, जिससे साधना करने के दौरान आपका मन निर्मल रहे। ये शील निम्न प्रकार हैं –
1- हत्या न करना– आप जीव हत्या न करने का शील धारण करते हैं।
2- चोरी न करना – आप चोरी ना करने का शील धारण करते हैं।
3- व्यभिचार न करना– आप ब्रम्हचर्य का शील धारण करते हैं।
4- असत्य न बोलना – आप झूठ ना बोलने का शील धारण करते हैं।
5- मद्दपान न करना– आप किसी भी तरह का नशा ना करने का शील धारण करते हैं।
किसी भी तरह का कर्म- काण्ड भी करने की मनाही है, मतलब आप किसी भी तरह की पूजा-पाठ व्रत आदि नहीं कर सकते, दस दिन आपको इन सभी बातों का ध्यान रखना है।
दूसरा चरण आपको तीन दिन तक आनापान का अभ्यास कराया जाता है, जिसमें आप ऊपर वाले होठं से नासिका तक अपना पूरा ध्यान लगाते हैं और अपनी हर आती जाती सांस को तथस्थ भाव से देखते हैं, जिससे आपकी सजगता बढती है और आप विपश्यना-साधना के लिए तैयार हो जाते हैं।
तीसरा चरण तीन दिन आनापान के अभ्यास के बाद, आपको चौथे दिन शरीर में हो रही संवेदनाओं के प्रति सजग रहना सिखाया जाता है, उनके सही स्वभाव को समझना और उनके प्रति किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया किये बिना समता बनाये रखना सिखाया जाता है । इसके लिए अनुष्ठान सिखाया जाता है जिसमें सामूहिक साधना जो कि दिन में तीन बार होती है, एक घंटे तक लगातार बिना शरीर को हिलाये ध्यान में बैठना होता है।
आप शरीर के हर अंग से मन को गुजारते हुए स्थूल और सूक्ष्म संवेदनाओं को सजग भाव से, बिना किसी राग और द्वेष के, नित्य भाव से देखने का अभ्यास करते हैं। दसवें दिन तक आपको अपने हर अंग में होने वाली सभी संवेदनाएं हर पल महसूस करते हुए सजग रहना आ जाता है।
इसी दिन आपको मैत्री साधना सिखाई जाती है, सभी के प्रति प्रेमपूर्ण दया या सद्भावना का ध्यान सीखते हैं, जिसमें पाठ्यक्रम के दौरान विकसित हुई पवित्रता सभी प्राणियों के साथ साझा की जाती है।
संपूर्ण अभ्यास वास्तव में एक मानसिक स्तर का प्रशिक्षण है। जिस तरह हम अपने शारीरिक स्वास्थ्य को सही रखने और बेहतर बनाने के लिए शारीरिक व्यायाम करते हैं, उसी तरह स्वस्थ दिमाग को विकसित करने के लिए विपश्यना-साधना का उपयोग किया जा सकता है।
बेशक, निरंतर अभ्यास से परिणाम धीरे-धीरे आते हैं। दस दिनों में सभी समस्याओं के समाधान की उम्मीद करना अवास्तविक सा लगता है। इतने जन्मों जन्मों के संस्कार से मन राग और द्वेष में डूबा रहता है, अनचाही और मनचाही में उलझा रहता है। कम से कम साल में एक बार दस-दिवसीय शिविर की सलाह दी जाती है जिससे इसे दैनिक जीवन में लागू किया जा सके।
जितनी अधिक तकनीक का अभ्यास किया जाता है, दुख और राग-द्वेष से मुक्ति उतनी ही अधिक होती है, और पूर्ण मुक्ति के अंतिम लक्ष्य के करीब पहुंचना आसान हो जाता है। यहां तक कि दस दिन भी ऐसे परिणाम देखे जा सकते हैं जो दैनिक जीवन के लिए लाभकारी हों, इसलिए इसे जीवन जीने की कला भी कहा जाता है।
विपश्यना दस-दिवसीय शिविर की दिनचर्या क्या है ?
- 4.00 AM – प्रात: जागना
- 4.30 AM TO 6.30 AM – धम्म हॉल में साधना
- 6.30 AM TO 7.30 AM – नाश्ता जलपान (भोजनालय में)
- 7.30 AM TO 8.00 AM – विश्राम
- 8.00 AM TO 9.00 AM – धम्म हॉल में सामूहिक साधना
- 5 मिनट – विश्राम
- 9.05 AM TO 11.00 AM – धम्म हॉल में साधना (1 घंटा पूरा होने पर 5-10 मिनट का विश्राम)
- 11.00 AM TO 11.30 AM – भोजन (भोजनालय में)
- 11.30 AM TO 1.00 PM – विश्राम अथवा आचार्य से प्रश्नोतर
- 1.00 PM TO 2.30 PM- धम्म हॉल में साधना
- 2.30 PM TO 3.30 PM – धम्म हॉल में सामूहिक साधना
- 3.30 PM TO 5.00 PM – धम्म हॉल में साधना आचार्य निर्देशनुसार (1 घंटा पूरा होने पर 5-10 मिनट का विश्राम)
- 5.00 PM TO 5.30 PM – चाय नाश्ता/जलपान (भोजनालय में)
- 5.30 PM TO 6.00 PM – टहलना/ विश्राम
- 6.00 PM TO 7.00 PM – धम्म हॉल में सामूहिक साधना
- 7.00 PM TO 8.15 PM – धम्म हॉल में गोयंका जी के द्वारा प्रवचन (वीडियो)
- 8.15 PM TO 9.00 PM – धम्म हॉल में साधना आचार्य निर्देशनुसार
- 9.00 PM TO 9.30 PM – धम्म हॉल में प्रश्नोत्तर
- 9.30 PM – दिनचर्या समाप्त रात्री विश्राम
विपश्यना के सेंटर कहाँ कहाँ हैं?
भारत के अलावा एशिया/पेसिफिक में अन्य जगहों में जैसे उत्तर अमेरिका में, लेटिन अमेरिका में, यूरोप में, ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूज़ीलेंड में, मध्यपूर्व में एवं आफ्रिका में और दुनिया भर में विपश्यना केन्द्र है। दुनिया भर में विपश्यना के कई सौ सेंटर हैं, जहां ये विद्या सिखायी जाती है।
भारत में केन्द्रों की संख्या लगभग 90 है, हर केंद्र की अपनी एक वेबसाइट होती है लेकिन यहाँ सभी को लिख पाना मुश्किल है, इसलिए यहाँ कुछ मुख्य लिंक आपके साथ शेयर कर रही हूँ, जहां आप अपनी सुविधा के अनुसार स्थान चुन कर संपर्क कर सकते हैं ।
https://www.dhamma.org/hi/index
https://www.dhamma.org/hi/maps#001
उत्तर प्रदेश के केन्द्रों की सूचि और वेबसाइट –
- Dhamma Lakkhana Vipassana Centre, Lucknow – https://lakkhana.dhamma.org/
- Dhamma Suvatthi Vipassana Meditation Centre, Khargupur – https://suvatthi.dhamma.org/
- Dhamma Kalyana Vipassana Meditation Centre, Chaudanpur – https://www.dhamma.org/hi/schedules/schkalyana
- Dhamma Sudha, Meerut Vipassana Sansthan, Hastinapur – https://dhammasudha.business.site/
- Meerut Vipassana Meditation Centre, Meerut – https://sudha.dhamma.org/
- Sarnath Vipassana Centre – Dhamma Cakka, Varanasi – https://cakka.dhamma.org/
विपश्यना शिविर के लिए आवेदन कैसे करें?
विपश्यना दस दिन के शिविर में भाग हेतु आवेदन करने के लिए आपको स्थान और तारीख का चुनाव करने के बाद, उसकी वेबसाइट पे जाकर, कोर्स में दस दिवसीय शिविर चुन कर, फॉर्म को भरना होगा, आपको निम्न डॉक्यूमेंट की जरुरत होगी –
- पासपोर्ट साइज़ फोटो
- एक आईडी प्रूफ जैसे पैन/आधार
विपश्यना का शुल्क अथवा फीस कितनी है?
विपश्यना पूर्णतया निशुल्क है, शिविर के बाद आप स्व-इच्छा से दान कर सकते हैं।
शिविरों का संचालन पूर्णतया स्वैच्छिक दान से होता है। रहने एवं खाने का भी शुल्क नहीं लिया जाता। शिविरों का खर्च उन साधकों के दान से चलता है, जो पहले किसी शिविर से लाभ लेकर दान देकर बाद में आने वाले साधकों को लाभान्वित करना चाहते हैं।
विपश्यना करने के लाभ क्या हैं?
विपश्यना या कोई भी ध्यान विधि इंसान को शारीरिक रूप से और मानसिक रूप से बेहतर बनाने में सहायक होती है। ध्यान एक मानसिक प्रक्रिया है जो मन की स्थिर बनाये रखने में मददगार है और अगर मन की स्थिथि को हम समता में बनाये रखना सीख लें, तो इसका सीधा असर हमारे शरीर की स्वस्थता में और एक तेज के रूप में चेहरे और व्यक्तिगत औरा में देखा जा सकता है, जहां तक मैं महसूस करती हूँ, इसके कुछ मुख्य लाभ हैं –
- ध्यान हमें तनाव से दूर रखता है ।
- किसी भी प्रकार के डिप्रेशन से दूर रखता है ।
- बुद्धि को तेज और मन को निर्मल बनता है ।
- मन को समता की स्थिति में बनाये रखता है ।
- ध्यानी मन में उठते विकारों को अनित्य भाव से देख पाता है।
- आत्मविश्वास बढ़ता है ।
- सही फैसले लेने में मदद करता है ।
- ध्यानी खुश रहता है और धीरे-धीरे राग-द्वेष से ऊपर उठकर मोक्ष को प्राप्त करता है ।
ध्यान करने के इतने लाभ हैं कि बताना किसी के लिए बहुत मुश्किल है ये वियक्ति विशेष की गति, भावना और संकल्प से अलग अलग परिणाम देती है।
प्रश्न और उत्तर
विपश्यना कौन सी भाषा में सिखाई जाती है ?
विपश्यना शिविर में अंग्रेजी और हिन्दी दोनों भाषाओँ में इंस्ट्रक्शन दिए जाते हैं दोनों में से एक भी भाषा आपको आती है, तो आप शिविर में भाग ले सकते हैं।
विपश्यना दस दिवसीय शिविर में दिन के कितने घंटे बैठना होता है?
विपश्यना की दिनचर्या में लगभग 10 से 11 घंटे बैठकर ध्यान करना होता है, जो लोग नीचे बैठने में असमर्थ हैं, उनके लिए कुर्सियों का प्रबंध किजा जाता है।
विपश्यना शिविर में कैसा भोजन मिलता है?
विपश्यना शिविर में सात्विक खाना जैसे- दाल चावल सब्जी रोटी और नाश्ते में इडली, पोहा, काले चने, अंकुरित दाल, चाय, फल और दूध इत्यादि मिलता है, यहाँ खाना, प्याज और लहुसन के बगैर बनता है। अगर आप बीमार हैं या विशेष प्रकार का भोजन आपको चाहिए तो शिविर से पहले आप सेंटर पर संपर्क करके, अपनी समस्या बता कर समाधान ले सकते हैं।
विपश्यना गर्भवती महिलायें कर सकती हैं ?
हाँ, गर्भवती महिलायें शिविर में आती हैं, लेकिन शिविर में जाने से पहले यह निश्चित कर लें कि गर्भ स्थिर है। गर्भवती महिलाओं की आवश्यकता अनुसार भोजन और आराम से ध्यान करने के लिए सुविधाएं दी जाती हैं।
किसी भी प्रश्न के लिए, कृपया हमें लिखें…..
विपश्यना का शुल्क अथवा फीस कितनी है? (Vipassana 10-day course fee)
विपश्यना पूर्णतया निशुल्क है, शिविर के बाद आप स्व-इच्छा से दान कर सकते हैं।
विपश्यना कौन सी भाषा में सिखाई जाती है ?
विपश्यना शिविर में अंग्रेजी और हिन्दी दोनों भाषाओँ में इंस्ट्रक्शन दिए जाते हैं दोनों में से एक भी भाषा आपको आती है, तो आप शिविर में भाग ले सकते हैं।
विपश्यना दस दिवसीय शिविर में दिन के कितने घंटे बैठना होता है?
विपश्यना की दिनचर्या में लगभग 10 से 11 घंटे बैठकर ध्यान करना होता है, जो लोग नीचे बैठने में असमर्थ हैं, उनके लिए कुर्सियों का प्रबंध किजा जाता है।
विपश्यना शिविर में कैसा भोजन मिलता है?
विपश्यना शिविर में सात्विक खाना जैसे- दाल चावल सब्जी रोटी और नाश्ते में इडली, पोहा, काले चने, अंकुरित दाल, चाय, फल और दूध इत्यादि मिलता है।
विपश्यना गर्भवती महिलायें कर सकती हैं ?
हाँ, गर्भवती महिलायें शिविर में आती हैं, लेकिन शिविर में जाने से पहले यह निश्चित कर लें कि गर्भ स्थिर है। गर्भवती महिलाओं की आवश्यकता अनुसार भोजन और आराम से ध्यान करने के लिए सुविधाएं दी जाती हैं।
आपकी जानकारी बहुत ही सुंदर लगी इस प्रकार की जानकारी यदि हम प्रत्येक व्यक्ति करते हैं धीरे-धीरे हम विपश्यना बढ़ा सकते हैं अपना उत्थान करने के साथ-साथ हम अन्य लोगों का भी उत्थान कर सकते है जिससे हम समाज राष्ट्र को साफ सुंदर स्वच्छ अखंड बना सकते हैं आपका धन्यवाद।
Good information
विस्तृत जानकारी के बाद हमें तो ऐसा लगता है की विपश्यना ध्यान भारत के प्रत्येक मनुष्य के पास पहुंचने पर देश का उत्थान होना सरल हो जाएगा और भारत का विश्व में पहला स्थान होगा शांति स्थापित करने के लिए इसके अलावा दूसरा कोई मार्ग ही नहीं है
very good
I want join in coimbatore