वही हम थे कि रोते हुए को हंसा देते थे, वही हम हैं कि थमता नहीं एक आंसू अपना।

बह जाती काश यादें भी आंसुओं के साथ, तो एक दिन हम भी रो लेते तसल्ली से बैठ कर।

भीगी भीगी सी ये जो मेरी लिखावट है, सियाही में थोड़ी सी मेरे अश्कों की मिलावट है।

मुस्कुराहट की आरज़ू में छुपाया जो दर्द को, अश्क हमारी आँखों में पत्थर के हो गए।

बस ये हुआ के उससे तकल्लुफ से बात की, और हमने रोते-रोते दुपट्टे भीगो लिए।

अश्क ही मेरे दिन हैं अश्क ही मेरी रातें, अश्कों में ही घुली है वो बीती हुई बातें।

मेरे आंसुओं की क़ीमत तुम चूका न पाओगे, मोहब्बत न ले सके तो दर्द क्या ख़रीद पाओगे।

मुझे मालूम है तुम बहुत बरसात देखी है, मगर मेरी इन्हीं आंखों से सावन हार जाता है।

तेरी जुबान ने कुछ कहा तो नहीं था, फिर न जाने क्यों मेरी आंख नाम हो गई।

हुए जिस पर मेहरबान तुम, कोई खुश नसीब होगा, मेरी हसरतें तो निकली मेरे आंसुओं में ढलकर।

आंसू भी मेरी आंख के अब ख़ुश्क हो गए, तुने मेरे खुलूस की क़ीमत भी छीन ली।