बस जान गया मैं तिरी पहचान यही है, तू दिल में तो आता है समझ में नहीं आता।
इलाही कैसी कैसी सूरतें तू ने बनाई हैं, कि हर सूरत कलेजे से लगा लेने के क़ाबिल है
।
रहता है इबादत में हमें मौत का खटका,
हम याद-ए-ख़ुदा करते हैं कर ले न ख़ुदा याद।
लोग कहते हैं बदलता है ज़माना सब को, मर्द वो हैं जो ज़माने को बदल देते हैं
।
आई होगी किसी को हिज्र में मौत,
मुझ को तो नींद भी नहीं आती।
दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ, बाज़ार से गुज़रा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ
।
इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद,
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता।
दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ, बाज़ार से गुज़रा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ।
CLICK ME
270+Ishq Shayari In Hindi | इश्क़ शायरी
CLICK ME
Must Read Book Of Gulzar
More Stories
Heart
Muneer Niyazi Shayari
Heart
Heart
Heart
Heart
Firaq Gorakhpuri Shayari
Allama Iqbal Shayari
Gulzar Shayari
Rahat Indauri Shayari