इश्क़ में जो ज़रूरी था,
वो हमने भी गुज़ारा...
ख़्वाब देखे, नींदें छोड़ी,
अश्क बहाए, बिछड़ गए !!
-मोनिका वर्मा
हर लम्हा तुझे सोचूं ये कैसी बेबसी है... तू है तमाम मुझमें, और होकर भी नहीं है !! -मोनिका वर्मा
ख़्वाब मेरे, हिन्दी के जैसे सरल, जिन्दगी, गणित के कठिन समीकरण !! -मोनिका वर्मा
वो पूछती रही सरहदें
इश्क़ की,
मैं समंदर उस पर लुटाता
रहा !!
-मोनिका वर्मा
मैं भटकता फिर रहा हूँ फिर से दर-बदर उसके बाद... वो ठहराव थी, बाँध थी मुझ बाग़ी नदिया का !! -मोनिका वर्मा
गर इश्क़ हूं, तो इश्क़ सा महसूस कर मुझे...
ज़ेहन, दिल के साथ बैठा अच्छा नहीं लगता !!
-मोनिका वर्मा
मुझको मालूम थी सजा तुझसे प्यार
करने की... अब मुझे
ज़िंदगी गुजारेगी ज़िंदगी को मैं नहीं !! -मोनिका वर्मा
मिरे आंखो के मौसम फ़कत चार, बारिशें, समन्दर, तुम और पहाड़ !! -मोनिका वर्मा
मैंने चांद को अनगिनत किस्से सुनाए… यकीनन इससे बेहतर श्रोता कोई नहीं !! -मोनिका वर्मा
मुंडेरों पे आ बैठते हैं, प्रेम-पत्रों की तलाश में… परिंदों को कैसे बताऊं, वो दौर गुज़र गए !! -मोनिका वर्मा
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