नादानी की हद है जरा देखो तो उनको,
मुझे खो कर वो ढूँढ रहे है कोई मेरे जैसा।
यादों की किताब उठा कर देखी थी मैंने,
पिछले साल इन दिनों तुम मेरे थे।
मुसलसल हादसों से बस मुझे इतनी शिकायत है,
कि ये आंसू बहाने की भी मोहलत नहीं देते।
सुलग रहा हूँ एक मुद्दत से अपने अन्दर मैं,
अब जो लब खोलूँगा तो बहुत तमाशा होगा।
मेरे मुक़द्दर को भी गिला रहा मुझसे,
कि किसी और का होता तो संवर गया होता।
ना छेड़ो किस्सा मोहब्बत का बड़ी लम्बी कहानी है,
हम जिंदगी से नहीं हारे किसी अपने की मेहरवानी है।
किसी को घर से निकलते ही मिल गयी मंजिल,
कोई हमारी तरह तमाम उम्र सफ़र में ही रहा।
एक मुलाक़ात ज़रुरी सी,
एक ख़्वाब अधूरा सा ।
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