कितनी शर्मीली लजीली है हवा बरसात की, मिलती है उन की अदा से हर अदा बरसात की।
जाने किस महिवाल से आती है मिलने के लिए, सोहनी गाती हुई सौंधी हवा बरसात की।
उस के घर भी तुझ को आना चाहिए था ऐ बहार, जिस ने सब के वास्ते माँगी दुआ बरसात की।
अब की बारिश में न रह जाए किसी के दिल में मैल, सब की गगरी धो के भर दे ऐ घटा बरसात की।
देखिए कुछ ऐसे भी बीमार हैं बरसात के, बोतलों में ले के निकले हैं दवा बरसात की।
जेब अपनी देख कर मौसम से यारी कीजिए, अब की महँगी है बहुत आब-ओ-हवा बरसात की।
बादलों की घन-गरज को सुन के बच्चे की तरह, चौंक चौंक उठती है रह रह कर फ़ज़ा बरसात की।
रास्ते में तुम अगर भीगे तो ख़फ़्गी मुझ पे क्यूँ,
मेरे मुंसिफ़ पे ख़ता मेरी है या बरसात की।
पहली टप टप ही मिरे होश उड़ा देती है, नींद उड़ती है अटक जाती है जाँ बारिश में।
आज भी डरता हूँ बिजली के कड़ाके से बहुत, उस को क़ाबू में किया करती थी माँ बारिश में।
घोंसले टूट गए पेड़ गिरे बाँध गिरे,
गाँव पे फिर भी जवाँ नश्शा-ए-जाँ बारिश में।
अल्लामा इक़बाल के बेहतरीन शेर | Allama Iqbal Shayari In Hindi
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